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Saturday 6 August 2016

देशभक्ति by DPS

कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं
जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं

कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं
कटा एक सीन पिक्चर का तो सारे बोल जाते हैं

ये कुर्सी मुल्क खा जाए तो कोई कुछ नही कहता
मगर रोटी की चोरी हो तो सारे बोल जाते हैं

नयी नस्लों के ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं
मगर माँ बाप कुछ बोले तो बच्चे बोल जाते है

फसल बर्बाद होती है तो कोई कुछ नही कहता
किसी की भैंस चोरी हो तो सारे बोल जाते हैं

बहुत ऊँची दुकानो मे कटाते जेब सब अपनी
मगर मजदूर माँगेगा तो सिक्के बोल जाते हैं

गरीबों के घरों की बेटियाँ अब तक कुँवारी हैं
कि रिश्ता कैसे होगा जबकि गहने बोल जाते हैं

अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नही कहता
फटी चादर की गलती हो तो सारे बोल जाते हैं

हवाओं की तबाही को सभी चुपचाप सहते हैं
च़रागों से हुई गलती तो सारे बोल जाते हैं

बनाते फिरते हैं रिश्ते जमाने भर से हम अक्सर
मगर घर मे जरूरत हो तो रिश्ते बोल जाते हैं.

Dps

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