“उनसे कहना की क़िस्मत पे ईतना नाज ना करे ,
हमने बारिश मैं भी जलते हुए मकान देखें हैं……
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वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो .!
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जरा सी चोट से शीशे की तरह टूट गया ,
दिल तो कमबख्त मेरा मुझसे भी बुजदिल निकला|
~~जावेद अख्तर~~
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